दो शब्द उनके लिए, जो नहीं रहते हुए भी हमेशा हमारे साथ हैं ! 'अलमस्त' 'अथक मेहनती', 'कुशल नेत्रित्वकर्ता', 'निर्भीक कार्यकर्ता', 'निडर समाजसेवी' 'एवं सहृदय परोपकारी' ये सभी विशेषण उनके लिए कम पड़ जाते थे । दोस्तों की जान थे तो शिक्षा जगत की शान भी । सहयोगियों के रहनुमा थे तो स्वजनों के प्राण भी । स्वाभाव ऐसा की जहाँ भी पड़ाव डाला वहीँ सजा ली महफ़िल । जिसपर नजर डाली उसे उद्धार कर दिया... Read more...